हिंदू धर्म में महिलाओं को श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है?

हिंदू धर्म में महिलाओं को श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है?

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि हिंदू धर्म में महिलाओं को श्मशान घाट जाना मना क्यों है?
प्राचीन हिंदू शास्त्रों में महिलाओं को बेहद आजादी दी गई है इन ग्रंथों में कहीं भी नहीं लिखा है कि महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए या मृतक परिजन का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए , वर्णन यहां महिलाओं को गायत्री मंत्र जाप करने तथा देवियों को जनेऊ पहनाने तक का अधिकार दिया गया है।
फिर भी कुछ विशेष कारणों के चलते महिलाओं को अंतिम संस्कार के समय श्मशान में जाने से रोका जाता है आइए जानते हैं क्या है यह विशेष कारण –
महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कमजोर दिल का माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि मृत शरीर को अग्निदाह देते समय कोई रोता है तो उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती। महिलाओं को जलते शव को देखना और उनके रोए बिना रुक जाना बहुत असंभव सा लगता है।
इसलिए महिलाओं को श्मशान घाट ले जाना वर्जित हैं और भी कई ऐसी चीजें श्मशान घाट में होती हैं जिन्हें बच्चों और महिलाओं को देखना अच्छा नहीं माना जाता है।

महिलाएं श्मशान घाट क्यों नही जाती हैं
महिलाएं श्मशान घाट क्यों नही जाती हैं

श्मशान घाट में शव को जलाते समय उसके कपल पर डंडे से मारा जाता है जो कि एक परंपरा है इसे आप यू समझ सकते हैं कि जीवन मुक्ति पाने से पहले की यादों को मिटाने के लिए कपाल पर डंडे से वार करके फोड़ने से उसकी यादें दूसरे जन्म में नहीं जाती और यह सब देखना किसी कमजोर दिल वाले के लिए अच्छा नहीं है। यह उसके दिमाग पर गहरा असर छोड़ सकता है क्योंकि महिलाएं कोमल ह्रदय की होती हैं इसलिए उनको वहां ले जाना उचित नहीं माना जाता है।

कई बार शव जलते समय अचानक अकड़ने लगता है और अजीब सी आवाज करने लगता है यह क्रिया महिलाओ और बच्चों को काफी डरा भी सकती हैं। यह सब देखना किसी कमजोर दिल वाले की बस की बात नहीं है यह उसके मानसिक स्तर को भी प्रभावित करता है इसलिए शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि ऐसी जगह किसी औरत या बच्चे का जाना उचित बिल्कुल नहीं होता है।

अगर आप भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं तो आप इस कारण को अच्छे से समझ पाएंगे , कहा जाता है कि शमशान घाट में बुरी आत्माओं का वास होता है जो कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर ज्यादा आकर्षित होते हैं और माना जाता है कि भूत प्रेत कुंवारी महिलाओं की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं और उन्हें अपने वश में करके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं भूत प्रेत के इस भयावह प्रभाव से बचने के लिए महिलाओं को श्मशान घाट नहीं ले जाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के बाद पूरे घर की सफाई की जाती है जिससे कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में न रह सके।  इसलिए घर की साफ सफाई और अन्य घरेलू कामों के लिए औरतों को घर मे रोका जाता है अंतिम संस्कार के बाद पुरुषों का घर में प्रवेश स्नान के बाद ही होता है। एक और वजह यह है कि शमशान घाट में उड़े धुंए के साथ शरीर से निकले कई विषैले पदार्थ इंसानों की शरीर में चिपक जाते हैं जिन्हें घर आने से पहले इंसानों को बाहर ही स्नान करके साफ करना चाहिए ।

हिंदू रिवाज के हिसाब से जो भी अंतिम संस्कार करने जाता है उसे गंजा होना पड़ता है फिर चाहे कोई स्त्री हो या पुरुष या बूढ़ा , बच्चा हो उन्हें इस परंपरा का पालन करना ही पड़ता है क्योंकि महिलाओं के सिर के बाल मुंडवाना हिंदू धर्म में वर्जित हैं इस परंपरा को भी ध्यान में रखते हुए महिलाओं को श्मशान घाट नहीं ले जाया जाता है और पुरुषों को सिर मुंडवाना कोई गंभीर समस्या नहीं होती। लेकिन महिलाओं या लड़कियों को सिर मुंडवाना बिल्कुल नहीं सुहाता है।

यह आवश्यक नहीं है कि ऐसा सभी करें यह इंसान की अपनी मनोवृति पर निर्भर करता है कि वह कौन सी परंपराओं और मान्यताओं का पालन करना चाहता है। समय बीतने के साथ आजकल कई महिलाएं इन परंपराओं को नजरअंदाज करते हुए श्मशान घाट मैं अंतिम क्रिया में शामिल होने लगी है। और वह सिर मुंडवाने की परंपरा को भी बिल्कुल नजरअंदाज कर रही हैं।

यह तो आपने कई बार सुना होगा कि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है और निभाना हमारी जिम्मेदारी बन जाती हैं संस्कृति का पालन करना प्रत्येक ही अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।

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