शिवलिंग पर रची तीन रेखाएं क्या बताती हैं हम भगवान शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं-
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम शिवलिंग पर रची तीन रेखाओं का क्या मतलब होता है अक्सर आपने देखा होगा कि शंकर भगवान के मस्तिष्क पर तीन रेखाएं होती हैं वैसे के वैसे ही शिवलिंग पर भी तीन रेखाएं होती हैं आखिर तीन रेखाएं हमें क्या दर्शाती है
तो आज के इस पोस्ट में हम इसके बारे में बात करेंगे और साथ ही साथ क्यों महिलाओं को शिवलिंग नहीं छूना चाहिए , और हम भगवान शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं इसके बारे में भी बात करेंगे तो आज इस पोस्ट में हम इसी के बारे में बताएंगे तो चलिए शुरू करते हैं
शिवलिंग पर रची तीन रेखाएं क्या बताती हैं शिव लिंग पर सफेद चंदन या भस्म से लगाए गई तीन आड़ी रेखाएं भगवान शिव का श्रंगार हैं जिसे त्रिपुंड कहते हैं। एक सनत्कुमार ने भगवान कलागिरूद्व से त्रिपुंड का रहस्य पूछा। भगवान कलागिरूद्व बताते हुए बोले –
1. पहली रेखा ग्राह्प्तस अग्नि , उकार , रजोगुण भूलोक , देहात्मा , क्रियाशक्ति , ऋग्वेद , प्रातः कालीन हवन और महेश्वर देवता का स्वरूप है।
2. दूसरी रेखा दक्षिणगिन , उकार , सत्वगुण , अंतरिक्ष अंतरात्मा इच्छाशक्ति यजुर्वेद मध्याह्न के हवन और सदाशिव देवता का स्वरूप है।
3. तीसरी रेखा आहवनीय अग्नि , मकार , तमोगुण , स्वर्ग लोक , परमात्मा , ज्ञानशक्ति , सामवेद तीसरे हवन और महादेव देवता का स्वरूप हैं।
इस प्रकार जो कोई भी मनुष्य भस्म का त्रिपुंड करता है उसे तीर्थों में स्नान का फल मिल जाता है। वह सभी रूद्र मंत्र को जपने का अधिकारी होता है। वह सब भोगो को भोगता है और मृत्यु के बाद शिव सामुज्य मुक्ति प्राप्त करता है।
क्यों महिलाओं को शिवलिंग नहीं छूना चाहिए – शिव जी का तप भंग न हो ऐसी मान्यता है कि लड़कियों को शिवजी दूर इसलिए रहना चाहिए क्योंकि उन्हें शिवजी हर समय समाधि व तप में व्यस्त रहते हैं। उनकी तपस्या भंग ना हो इसलिए उनकी पूजा हमेशा दूर रहकर करनी चाहिए इसके अलावा कुंवारी लड़कियों को कभी शिवलिंग की परिक्रमा भी नहीं करनी चाहिए।
हम भगवान शिवलिंग की पूजा क्यों करते – केवल शिवलिंग की ही पूजा क्यों होती है इस विषय में शिवपुराण कहता है कि महादेव के अतिरिक्त अन्य कोई भी देवता साक्षात ब्रह्मस्वरूप नहीं है। संसार भगवान शिव के ब्रह्मस्वरूप को जान सके इसलिए ही भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए हैं और शिवलिंग के रूप में इनकी पूजा होती है।
शिव शंभू आदि और अंत के देवता हैं इनका ने कोई स्वरूप है और ना ही आकार व निराकार है आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है जबकि उनके साकार रूप में उन्हें भगवान शंकर मानकर पूजा जाता हैं।
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