हम पृथ्वी पर 40000 फीट से गहरा गड्डा क्यों नहीं खोद सकते हैं ? आप भी जानिए 

हम पृथ्वी पर 40000 फीट से गहरा गड्डा क्यों नहीं खोद सकते हैं ? आप भी जानिए      
हम सभी को पता है कि वैज्ञानिकों ने लाखों करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों तथा उपग्रहों के बारे में जितना अधिक जानते हैं उसकी तुलना में पृथ्वी की बात की जाए तो पृथ्वी के बारे में हम कुछ भी नहीं जानते हैं हम आज तक पृथ्वी के लगभग कुछ हिस्सों का लगभग 10% का ही सही से अध्ययन कर पाए हैं बाकी 90% से हम आज भी अनजान हैं हम सिर्फ पृथ्वी के सतह के बारे में ही जानते हैं बाकी सतह के अंदर क्या है? किसी को कुछ नहीं पता ।

इजराइल में मृत सागर समुद्र तल से नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है। हालांकि इसकी 13.85 फीट गहराई दुनिया के सबसे गहरे छिद्र की तुलना में बहुत कम है। नेपाल में माउंट एवरेस्ट पृथ्वी का सबसे ऊंचा स्थान है हालांकि यदि आप इसकी 29030 फिट ऊंचाई को लेकर दुनिया के सबसे गहरे छिद्र को ढक दें तो यह नीचे तक नहीं पहुंच पाएगा।

पश्चिमी प्रशांत महासागर में मारियाना ट्रेंच की बात की जाए तो यह पृथ्वी की पपड़ी कि सतह का सबसे निचला हिस्सा है खाई का सबसे निचला बिंदु समुद्र तल से 36,200 फीट नीचे हैं , जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं कि दुनिया का सबसे गहरा छिद्र मारियाना ट्रेंच से गहरा है।

पृथ्वी के नीचे की सतह को जानने के लिए कि पृथ्वी के नीचे क्या है तो 1970 में रूस में एक गड्ढा खोदा गया जिसका नाम था ” कोला सुपरडीप बोरहोल “ इसे लगातार खोदने पर सिर्फ 12,262 मीटर तक ही खोदा जा सका उसके बाद इस प्रोजेक्ट को 1994 में बंद कर दिया गया और इस गड्ढे की सील कर दिया गई।

पृथ्वी में 40000 फिट से गहरा गढ्ढा क्यों नही खोद सकते हैं
इसके बंद होने का प्रमुख कारण था ज्यादा तापमान होना पृथ्वी के इस हिस्से का तापमान था 180 डिग्री सेल्सियस। जो कि वैज्ञानिकों की सोच से काफी परे था। वैज्ञानिकों का मानना था कि पृथ्वी के इतने अंदर जाने पर तापमान 100 डिग्री सेल्सियस ज्यादा नहीं होगा क्योंकि इतने अधिक तापमान पर काम करना आसान नहीं होता इसलिए इस प्रोजेक्ट को वही बंद करना पड़ा।

इसका दूसरा प्रमुख कारण था कि जितना अधिक हम पृथ्वी के अंदर जायेंगे उसका घनत्व उतना ही बढ़ता जाएगा और इतने अधिक घनत्व में गड्डा खोदने के लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं और उतना ही ज्यादा पैसा , जिसके कारण इसे बंद कर दिया गया।

जमीन में 12 किलोमीटर की खुदाई करना अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है पर आपको जानकर हैरानी होगी की सतह से लेकर धरती की कोर तक जितनी गहराई है यह उसका 0.2% भी नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती का 6400 किलोमीटर नीचे हैं , जहां पहुंचने का सोचा भी नहीं जा सकता।

इस अनोखे काम को पूरा करने के लिए दुनिया की सबसे अनोखी मशीन URALMASH का इस्तेमाल किया गया। मल्टी लेयर ड्रिलिंग सिस्ट वाली इस मशीन की टारगेट डेफ्थ  15000 मीटर (49,000 फिट ) थी।

बाद में ड्रिलिंग को बंद कर दिया गया जब यह पता चला कि 40,000 फीट पर तापमान उत्तर 356° F  (18° सेल्सियस) तक पहुंचा गया है। उस दबाव और तापमान पर चट्टाने इतनी नरम और लचीली हो जाती है कि किसी भी छिद्र की दीवारें अस्थिर हो जाती है। और लगातार गिरती रहती हैं यह थोड़ा बहुत किसी मोटे दलिया से भरे बर्तन में एक गड्ढा करने की कोशिश करने जैसा है। इसलिए जब तक नई ड्रिल तकनीकी समस्या का समाधान नहीं कर लेती , तब तक वर्तमान गहराई यथावत रहने की संभावना है।

अब आप समझ गए होंगे कि पृथ्वी पर 40,000 फीट से गहरा खड्डा क्यों नहीं खोद पाए।

अतः यह स्पष्ट है कि हम धरती के अंदर ज्यादा दूर तक न तो गड्ढा कर सकते हैं और न ही इसके तापमान का अंदाजा लगा सकते हैं।

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