कागज कैसे बनाया जाता है? Kagaj kese bnate hai.

कागज कैसे बनाया जाता है? Kagaj kese bnate hai.

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की लकड़ी से कागज कैसे बनाया जाता है और किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है तथा किन किन प्रोसेसिंग का सामना करना पड़ता है आइए जानते हैं डिटेल में इसके बारे में पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ना तभी आपको समझ में आएगा –

कागज कैसे बनाया जाता हैं
1. पेड़ का चयन 👉 कागज किस पेड़ से बनाया जाता है कागज बनाने के लिए सबसे पहले पेड़ों का चयन किया जाता है और ऐसे पेड़ों का चयन किया जाता है जिसमें लकड़ी के रेशे की मात्रा काफी अधिक होती है।
लकड़ी का गुदा कागज निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है।

यह कागज उद्योग में पेड़ों के महत्व को बढ़ाता है। जिन पेड़ों से कागज बनते हैं वह नम लकड़ी के शंकुधारी पेड़ों से लगभग 85% कागज बनाए जाते हैं।

जिनकी लकड़ी का गुदा कागज के लिए महत्वपूर्ण होता है सॉफ्टवुड के पेड़ों में लंबे समय तक सेलुलोस फाइबर होते हैं जिन्हें कागज की पर्याप्त शक्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

इस श्रेणी में प्रमुख स्प्रूस , पाइन , देवदार लार्च और हेमलोक  हैं नीलगिरी एक द्रढ लकड़ी है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर कागज उत्पादन के लिए किया जाता है इस उद्योग में लागू अन्य द्रढ लकड़ी ओक , एस्पेन , सन्टी और मेपल हैं।

इसके अतिरिक्त घास और बांस का प्रयोग भी कागज बनाने के लिए किया जाता है

भारतीय नोटों के निर्माण में कॉटन का प्रयोग किया जाता है जिसे उन्हें अधिक समय तक उपयोग में लाया जा सके।

2. टुकड़ो में अलग करना 👉 जब पेड़ों का चयन हो जाता है तो उसके बाद उन पेड़ों को टुकड़ों में काटकर अलग कर दिया जाता है और फिर इन्हें फैक्ट्री में भेज दिया जाता है। जहां इसके छिलके को साफ कर दिया जाता है उसके बाद पेड़ के टुकड़ों को काफी छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है।

3. Digester चैम्बर 👉 जब पेड़ के बड़े टुकड़ों को बारीक टुकड़ों में बदल दिया जाता है उसके बाद उन छोटे टुकड़ों में से लिग्निन को बाहर निकालने के लिय उसे कन्वेयर बेल्ट के जरिए डाइजेस्टर चेंबर में भेज दिया जाता है। जहां लकड़ी के टुकड़े को Acidic Solution के साथ मिलाया जाता है और बाद में इसमें से लिग्निन को अलग कर दिया जाता है। लिग्निन एक ऐसा पदार्थ है जो की लकड़ी को कठोर बनाता है।

4. Bleaching  ( ब्लीचिंग )👉 जब लकड़ी के टुकड़ों में से लिग्निन को निकाल लिया जाता है और उसके बाद इसे पानी से धोया जाता है और बाद में ब्लीचिंग के जरिए इसे काफी नरम बनाया जाता है।

5. कैल्शियम कार्बोनेट का मिश्रण 👉 जब लकड़ी के टुकड़ों का ब्लीचिंग हो जाता है उसके बाद इसे और भी सघन बनाने के लिए इसे कैलशियम कार्बोनेट के साथ मिक्स किया जाता है।

6. पानी का मिश्रण 👉 अब सघन लकड़ी के टुकड़ों को पतला बनाने के लिए इसमें पानी मिक्स किया जाता है और फिर पल्प नामक मिश्रण बनकर तैयार हो जाता है अब इस मिश्रण से कागज को बनाया जा सकता है।

7. पेपर मशीन 👉 पानी से बने हुए पल्प को पेपर मशीन के अंदर से गुजारा जाता है जिसमें इसे कई सारे phase से गुजार कर पेपर की लंबी परत का निर्माण किया जाता है पेपर की इन लंबी परतों को बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है और इसी से ही कॉपी , मैगजीन और न्यूज़पेपर का निर्माण किया जाता है।

न्यूज़ पेपर कैसे बनता है 👉 सेल्यूलोस के रेशों को जोड़कर कागज की पतली परत का निर्माण किया जाता है। वैसे तो रुई में शुद्ध रूप से सेल्यूलोस पाया जाता है जिससे कि न्यूज़पेपर बनाया जा सकता है लेकिन रुई का सेल्यूलोस काफी महंगा होता है इसलिए इसका इस्तेमाल कपड़ों को बनाने के लिए किया जाता है कागज की गुणवत्ता सेल्यूलोस के शुद्धता पर निर्भर करती है।

एक पेड़ से कितने कागज बनते हैं 👉 एक टन अच्छी गुणवत्ता वाले पेपर बनाने के लिए 12 से 17 पेड़ लगते हैं। पूरी दुनिया में हर रोज कागज बनाने के लिए 80 हजार से डेढ़ लाख पेड़ काटे जाते हैं। भारत में कागज और गतो की मौजूदा खपत लगभग 100 लाख टन होने का अनुमान है। देश में लगभग सभी प्रकार के कागज मिलो की उत्पादन क्षमता बढ़ रही है।

हम कागज की बचत कैसे कर सकते हैं 👉 यह उन कार्य की सूची है जिसके द्वारा हम कागज की बचत कर सकते हैं जो निम्न प्रकार है –
१.  उपयोग किए गए कागज को इकट्ठा करें और इन्हें पुनः चक्रण करें ।
२ .लिखने के लिए कागज का सही तथा कागज के दोनों भाग का उपयोग करें ।
३. कागज के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाए।
४.  कागज का समझदारी से उपयोग करें।

कागज का पहला कारखाना 👉 आधुनिक तकनीक पर आधारित कागज उद्योग से संबंधित प्रथम कागज उत्पादक मिल की स्थापना सन 1870 में कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर ” बाली ” नामक स्थान पर स्थापित किया गया था।

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